We don't need anyone or anything to make us happy. It's just a state of mind. LOL so different to earlier post of mine.
Grace,Love & mercy
My world ..my diary..my companion
Sunday, March 29, 2015
Friday, April 25, 2014
Rediscover- New me
These days I have been thinking of doing something which is creative,and value addition. Have been trying different means to do that but all in vain. Teaching, dancing reading what ever excites me am thinking of all those things.
Last few months were very depressing but then realized that being happy is not so difficult. I made my own problems. I can be happy too if I change my focus from something which is not important to a more important.
Have been trying to make as many friends as I can.
I am fond of reading and have been reading lot of books online too.
I am loving this new me.
being happy is the state of mind. You can be happy if start looking for good things around you and avoid the negative vibes. I have done that and yes there is a significant change in my life.
being happy is the state of mind. You can be happy if start looking for good things around you and avoid the negative vibes. I have done that and yes there is a significant change in my life.
Tuesday, April 1, 2014
Freedom of thought,speech and life
Need a freedom.
I need a freedom of what I think,
I need freedom to what I say,
I need a freedom to how I look,
I need a freedom to how I live.
I need a freedom of what I think,
I need freedom to what I say,
I need a freedom to how I look,
I need a freedom to how I live.
Monday, February 17, 2014
Daughters are great best friends.
Love from the people around. Love from my two lovely children.
I always wanted to be a friend to my children but lately with my daughter the relationship has changed.
I guess the hectic schedule doesn't let me be her friend. But today I red something and that made me realize that daughters are great best friends.
Ranu I promise one day you will say "MY MOM IS MY BEST FRIEND"
I always wanted to be a friend to my children but lately with my daughter the relationship has changed.
I guess the hectic schedule doesn't let me be her friend. But today I red something and that made me realize that daughters are great best friends.
Ranu I promise one day you will say "MY MOM IS MY BEST FRIEND"
Is it so difficult to be happy.
last few weeks have been really depressing for me and am still analyzing why?
The answers lies within me but why is so difficult to come out of it.
I had a long conversation with myself last night and came to a conclusion that it's nothing but a state of mind. I have everything, a good loving husband, two lovely children and healthy and happy lifestyle. I will now ask myself on a daily basis - "Why am I so bored?"
We are all, it seems struggling with the fact that we feel dissatisfied- almost on an epidemic level.
I guess it spreads with the kind of people that you meet on a daily basis. I am working from home which I guess is very rare for the kind of profession that I am in. In a way I feel am blessed because not many moms with my profession have a good work from home option. Still that doesn't make me happy !
We all complain for wanting more from what we have. Why we don't realise that what we have is better then the other lot of people. phew !
The answers lies within me but why is so difficult to come out of it.
I had a long conversation with myself last night and came to a conclusion that it's nothing but a state of mind. I have everything, a good loving husband, two lovely children and healthy and happy lifestyle. I will now ask myself on a daily basis - "Why am I so bored?"
We are all, it seems struggling with the fact that we feel dissatisfied- almost on an epidemic level.
I guess it spreads with the kind of people that you meet on a daily basis. I am working from home which I guess is very rare for the kind of profession that I am in. In a way I feel am blessed because not many moms with my profession have a good work from home option. Still that doesn't make me happy !
We all complain for wanting more from what we have. Why we don't realise that what we have is better then the other lot of people. phew !
Monday, January 6, 2014
Filmi Aadaat
पिछले काफी दिनो से एक अजीब सी घभराहट अकेलापन और बेचैनी सी लग रही है।
अब तो लगने लगा है कि शायद मैं ही गलत हूँ। मेरे सब तरफ के लोगों को मुझसे इतनी तक़लीफ़ है तो मेरी ही गलती होगी।
ऐसा मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया। पहले सब मुझसे खुश रहते थे मैं किसी पर निर्भर नहीं थी और न कोई मुझ पर। अकेले कुछ भी करो गलत है तो अपनी ज़िमेदारी और सही है तो अपनी। मम्मी पापा ने कभी किसी चीज़ के लिए नहीं टोका मगर बताया ज़रूर कि क्या सही है और क्या नहीं।
पहले लगता था मेरी दुनिया काफी बड़ी है मगर अब सिर्फ दो बच्चों में आकर सिमट गयी है उनसे शुरू होती है और उनसे ख़तम। जो अपने आस पास देखा उससे लगता है यह गलत है। जो मेरे माँ बाप के साथ हुआ नहीं चाहती वोह मेरे साथ भी हो अपने आपको किसी को ऊपर निर्भर नहीं करना चाहती। मगर इन सब से प्यार भी बोहत करती हूँ मेरे इनके अलावा है ही कौन।
फिर कैसे करून शुरुआत। फिर से वापस वैसी ही होना चाहती हूँ। पहले में किसी बात से इफ़ेक्ट नहीं होती थी अब छोटी से छोटी चीज़ पर इतना सोचने लगती हूँ।
ऐसी में नहीं थी। कोई दोस्त भी नहीं है जिससे बात करून। कहने को काफी लोग है आस पास मगर भाषण सुन्ना किसको पसंद है। सब सिर्फ भाषण देंगे जिससे सुनने का अभी मन नहीं है।
सीरियसली पहले यह सब लिखना विखना मुझे पागलों का काम लगता था। सोचती थी जिनका दिमाग ख़राब है या फिर बोहत फ़िल्मी है वही यह सब काम करते हैं। अरे यार अगर कुछ है तो लिखने कि क्या ज़रुरत है बस बोल दो किसी से प्रॉब्लम सोल्व ! हा हा हा !! हो गयी न मैं भी फ़िल्मी।
अब तो लगने लगा है कि शायद मैं ही गलत हूँ। मेरे सब तरफ के लोगों को मुझसे इतनी तक़लीफ़ है तो मेरी ही गलती होगी।
ऐसा मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया। पहले सब मुझसे खुश रहते थे मैं किसी पर निर्भर नहीं थी और न कोई मुझ पर। अकेले कुछ भी करो गलत है तो अपनी ज़िमेदारी और सही है तो अपनी। मम्मी पापा ने कभी किसी चीज़ के लिए नहीं टोका मगर बताया ज़रूर कि क्या सही है और क्या नहीं।
पहले लगता था मेरी दुनिया काफी बड़ी है मगर अब सिर्फ दो बच्चों में आकर सिमट गयी है उनसे शुरू होती है और उनसे ख़तम। जो अपने आस पास देखा उससे लगता है यह गलत है। जो मेरे माँ बाप के साथ हुआ नहीं चाहती वोह मेरे साथ भी हो अपने आपको किसी को ऊपर निर्भर नहीं करना चाहती। मगर इन सब से प्यार भी बोहत करती हूँ मेरे इनके अलावा है ही कौन।
फिर कैसे करून शुरुआत। फिर से वापस वैसी ही होना चाहती हूँ। पहले में किसी बात से इफ़ेक्ट नहीं होती थी अब छोटी से छोटी चीज़ पर इतना सोचने लगती हूँ।
ऐसी में नहीं थी। कोई दोस्त भी नहीं है जिससे बात करून। कहने को काफी लोग है आस पास मगर भाषण सुन्ना किसको पसंद है। सब सिर्फ भाषण देंगे जिससे सुनने का अभी मन नहीं है।
सीरियसली पहले यह सब लिखना विखना मुझे पागलों का काम लगता था। सोचती थी जिनका दिमाग ख़राब है या फिर बोहत फ़िल्मी है वही यह सब काम करते हैं। अरे यार अगर कुछ है तो लिखने कि क्या ज़रुरत है बस बोल दो किसी से प्रॉब्लम सोल्व ! हा हा हा !! हो गयी न मैं भी फ़िल्मी।
Monday, December 9, 2013
Bas aise hi ....
अछा लगता है आजकल अकेले रहना। कुछ वक़्त मिल रहा है सब काम ख़तम होने के बाद सोचने का ,चुप रहने का। सात साल कि शादी के बाद पहली बार है। मगर सही है।
पिछले काफी दिनों सी अकेली हो गयी हूँ। राहुल काफी बिजी रहते हैं।
थोडा बहुत टाइम निकल लेते हैं। मगर फिर भी पहले छोटी से छोटी बात उनसे कहती थी अब सोचना पड़ता है। इतने से टाइम में कौनसी बात ज्यादा ज़रूरी है। बच्चों के पीछे, घर के काम में दिन निकल जाता है रात आते ही अकेलापन खाता है। किस से बात करूं दिन भर बच्चों ने कैसी शरारत करी किसे बाटूँ। थक गयी हूँ किसके कंधे पर सर रखके कहूँ " आज तो बस थका दिया बच्चों ने "।
सब कहते है जब बड़ी पोस्ट पर पोहंच जाते है तो ऐसा ही होता है। शायद आदत पड़ जाएगी।
कितना अजीब है एक इंसान के इर्द गिर्द आपकी ज़िन्दगी घूम रही है वोः अगर पास नहीं है तो अकेला लगता है। मगर आदत खुद ही डाली तब नहीं सोचा।
शायद अछा ही है खुद के साथ भी बात करना अछा लगता है.
गुलजार साहब का कुछ लिखा हुआ पढ़ रही थी अछा लगा इसलिए लिख दिया।
बे - यारो मददगार ही काटा था सारा दिन
कुछ ख़ुद से अजनबी सा
तन्हा , उदास -सा ,
साहिल पे दिन बुझा के मैं ,लौट आया फिर वहीँ ,
सुनसान -सी सड़क के खाली मकान में !
दरवाजा खोलते ही , मेज पैर रखी किताब ने,
हल्के से फड़फड़ा के कहा ,
"देर कर दी दोस्त "
पिछले काफी दिनों सी अकेली हो गयी हूँ। राहुल काफी बिजी रहते हैं।
थोडा बहुत टाइम निकल लेते हैं। मगर फिर भी पहले छोटी से छोटी बात उनसे कहती थी अब सोचना पड़ता है। इतने से टाइम में कौनसी बात ज्यादा ज़रूरी है। बच्चों के पीछे, घर के काम में दिन निकल जाता है रात आते ही अकेलापन खाता है। किस से बात करूं दिन भर बच्चों ने कैसी शरारत करी किसे बाटूँ। थक गयी हूँ किसके कंधे पर सर रखके कहूँ " आज तो बस थका दिया बच्चों ने "।
सब कहते है जब बड़ी पोस्ट पर पोहंच जाते है तो ऐसा ही होता है। शायद आदत पड़ जाएगी।
कितना अजीब है एक इंसान के इर्द गिर्द आपकी ज़िन्दगी घूम रही है वोः अगर पास नहीं है तो अकेला लगता है। मगर आदत खुद ही डाली तब नहीं सोचा।
शायद अछा ही है खुद के साथ भी बात करना अछा लगता है.
गुलजार साहब का कुछ लिखा हुआ पढ़ रही थी अछा लगा इसलिए लिख दिया।
बे - यारो मददगार ही काटा था सारा दिन
कुछ ख़ुद से अजनबी सा
तन्हा , उदास -सा ,
साहिल पे दिन बुझा के मैं ,लौट आया फिर वहीँ ,
सुनसान -सी सड़क के खाली मकान में !
दरवाजा खोलते ही , मेज पैर रखी किताब ने,
हल्के से फड़फड़ा के कहा ,
"देर कर दी दोस्त "
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