Monday, January 6, 2014

Filmi Aadaat

पिछले काफी  दिनो  से एक अजीब सी घभराहट  अकेलापन और बेचैनी  सी लग रही  है।
अब तो लगने लगा है कि शायद मैं ही गलत हूँ।  मेरे सब तरफ के लोगों को  मुझसे इतनी तक़लीफ़ है तो मेरी ही गलती होगी।

ऐसा मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया। पहले सब मुझसे खुश रहते थे मैं किसी पर निर्भर नहीं थी और न कोई मुझ पर। अकेले कुछ भी करो गलत है तो अपनी ज़िमेदारी  और सही है तो अपनी।  मम्मी  पापा  ने कभी किसी चीज़  के लिए नहीं टोका मगर बताया ज़रूर कि क्या  सही  है  और क्या नहीं।

 पहले लगता था मेरी दुनिया काफी बड़ी है मगर अब सिर्फ दो बच्चों  में आकर सिमट गयी है  उनसे शुरू होती है और उनसे ख़तम। जो अपने आस पास देखा उससे लगता है यह गलत है।  जो मेरे माँ बाप  के साथ हुआ नहीं चाहती  वोह मेरे साथ भी हो अपने आपको किसी को ऊपर निर्भर नहीं करना चाहती।  मगर इन सब से प्यार भी बोहत करती हूँ मेरे इनके अलावा  है ही कौन।

फिर कैसे करून शुरुआत।  फिर से वापस वैसी ही होना चाहती हूँ।  पहले में किसी  बात से इफ़ेक्ट  नहीं होती थी अब छोटी से छोटी चीज़ पर इतना सोचने लगती हूँ।

ऐसी में नहीं थी।  कोई दोस्त भी नहीं है जिससे बात करून।  कहने को काफी लोग है आस पास मगर भाषण  सुन्ना किसको पसंद है।  सब सिर्फ भाषण देंगे जिससे सुनने का अभी मन  नहीं है।


सीरियसली पहले यह सब लिखना विखना  मुझे पागलों का काम लगता था।  सोचती थी जिनका  दिमाग ख़राब है या फिर बोहत फ़िल्मी है वही यह सब काम करते हैं।  अरे यार अगर कुछ है तो लिखने कि क्या ज़रुरत है  बस बोल दो  किसी से प्रॉब्लम सोल्व ! हा हा हा   !! हो गयी न मैं भी फ़िल्मी।





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