Monday, July 21, 2008

जीवन धारा

Its feeling of a man what he dreams about is all small happiness, not the materialistic things

किन्ही हसीं लबों की मुस्कराहट बनके मुस्कुराना चाहता हूँ
एक बच्चे की आंखो का सपने बन कर टूट जाना चाहता हूँ

उन बूढी आंखो में यादो के आंसू बनके छलक जाना चाहता हूँ ...
कापती सी आवाज में एक गीत गाना चाहता हूँ ..

कोई पुकारे तो बस रुक जाना चाहता हूँ ..

He is also ambitious so he talks about achieving some priceless things in life....

हैं आकाश में तारे जितने वो सब पाना चाहता हूँ..
चलते चलते थक कर गिर जाना चाहता हूँ
कभी डर्र कर अंधेरो से छुप जाना चाहता हूँ
तो कभी हिमम्मत करके उससे भीड़ जाना चाहता हूं

कभी पाना तो कभी खोना चाहता हूँ....

Now he thinks about his child hood and thinks that was best part of life so he want to rest a bit.......

कोई ला दो मेरी गुल्ली डंडा आज खेल कर थक जाना चाहता हूँ..
फिर चित्रहार के इन्तजार में पढाई खत्म करना चाहता हूँ ..
फिर उसी तालाब किनारे बैठ कर सो जाना चाहता हूँ..

मिल जाये गर मेरे घर का आगन कही फिर से वह की माटी खाना चाहता हूँ ...
अपने खेतो की धुल में सने कपडे लेकर घर आना काहहता हूँ ..
ओ मा कहा हैं तू ले ले मुझे अपने आगोश में
चला तो बहुत नही पर में आज न जाने क्यों तेरी गोद में कुछ देर सो जाना चाहता हूँ ...
सो जाना चाहता हूँ ॥


written by one of my close friend Kamal....

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